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झूठे मतलबी रिश्ते शायरी

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आज इस पोस्ट में हम आपके लिए झूठे मतलबी रिश्ते शायरी लेकर आए हैं। यह कविता उन लोगों के बारे में लिखी गई है जो स्वार्थ और स्वार्थ की वजह से हमसे संबंध रखते हैं। जिनकी दुआ किया करते थे रोज हजारों में, वहीं बेचते थे रिश्ते हर रोज बाजारों में। पक्के रिश्ते तो बचपन में बनते थे, अब बड़े हुए तो पता लगा सब मतलब से बात करते हैं। जिस पर यक़ीन होता है जब वहीं धोखा देता है, तो पूरी दुनिया मतलबी लगने लगती है। कभी मतलब के लिए तो कभी बस, दिल्लगी के लिए हर कोई मुहब्बत ढूंढ रहा है यहाँ ज़िन्दगी के लिये। काश सड़कों की तरह ज़िन्दगी के रास्तों पर भी लिखा होता की आगे खतरनाक मोड़ है जरा संभल के। दुनिया की भीड़ में एक तनहा सी रूह हूँ चेहरे कई है मेरे जनाब तभी तो हँसता बहुत खूब हूँ। मौसम तो समय आने पर बदलता है स्वार्थी लोगों का क्या किसी भी समय बदल जाते है। Mausam to samay aane par badalta hai, Swarthi logon ka kya kisi bhi samay badal jaate hai. किन किन को मतलबी कहोगे, सारी दुनिया तो मतलबी लोगों से भरी पड़ी है। Kin kin ko matalabi kahoge, Sari duniya to matalabi logon se bhari padi hai. धुप को तो लोग ऐसे ही बदनाम